नहीं नहीं मै ये सब बाते लिखना तो दूर सोच कर भी कांप जाती हूँ ,दिल चाहता है भाग कर किसी कोने में छुप जाऊं ,जहाँ कोई न मुझे देख सके ,अब और रंग नहीं देखने मुझे इस दुनिया के ,मन भर गया है जीने से ही ,जिधर देखो नकली मुस्कुराहट ,खोखले कहकहे ,मेरा दम घुटता है ये सब देखकर
लेकिन कहाँ जाऊं भाग कर ,जहाँ भी जाउंगी यही सब ही मिलेगा देखने को ,बस कुछ थोडा बहुत ही हेरफेर होगा बातो का ,लेकिन नियत सब की वोही मिलती है ,
ऐसे लोगो के कारण जो कुछ अच्छे लोग बचे हैं वो बेचारे भी इसी गिनती में गिन लिए जाते हैं ,क्योकि विश्वास तो सब का हिल चुका है ,धोखेबाजो की चांदी हो गयी है और सच्चे इंसान मुंह छिपाए फिरते हैं ,की कहीं कोई उन्हें भी धोख्बाज़ न समझ ले ,
नहीं आज नहीं लिख सकती ,मन बड़ा व्यथित हो रहा है ,जाने क्या का क्या लिख जाऊं ,कलम हाथों में कांपती जा रही है ,
सखी उदास मत हुआ करो ....और भूलने की कोशिश करो ,येही अच्छा रहेगा
ReplyDeleteकोशिश करती हूँ उपासना सखी लेकिन अंदर से मन कांपता रहता है ....
Deletehousale bulad rakhiye mayoosi se kya fayada jeet achhaai ki ant me hoti hai
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