Tuesday, July 31, 2012

कलम

कलम

आज बहुत दिन बाद सोचा कुछ लिखने का लेकिन कलम हाथ में लेते ही हाथ काम्पने लगे मेरे ,सोचा क्या लिखू ,फिर दिल में आया की जो आजकल के हालात हैं उनपर ही कुछ लिख दू ,दिल फिर से डर गया और कलम हाथों से छूट गयी ,की क्या मै लिख पाऊँगी आज के हालात और क्या कोई विश्वास भी करेगा की दुनिया इतनी स्वार्थी हो चुकी है ,हर चेहरे पर एक चेहरा चडा हुआ है

किसी को भी देख लो तो विश्वास ही नहीं आता की ये उसका असली चेहरा है या उस पर नकली चेहरा ओड़ रखा है ,इतनी मीठी और प्यारी बाते करनेवाले क्या अंदर से ऐसे होते हैं ,हर घडी रंग बदलनेवाले ,अब तो डर  लगता है किसी मिलते हुए या बात करते हुए की न जाने कौन कब कहाँ कैसे धोखा दे जाए ,क्या सच में प्यार ,विश्वास ,दोस्ती का अब कोई मोल नहीं रह गया ,
नहीं नहीं मै ये सब बाते लिखना तो दूर सोच कर भी कांप जाती हूँ ,दिल चाहता है भाग कर किसी कोने में छुप जाऊं ,जहाँ कोई न मुझे देख सके ,अब और रंग नहीं देखने  मुझे इस दुनिया के ,मन भर गया है जीने से ही ,जिधर देखो नकली मुस्कुराहट ,खोखले कहकहे ,मेरा दम घुटता  है ये सब देखकर

लेकिन कहाँ जाऊं भाग कर ,जहाँ भी जाउंगी यही सब ही मिलेगा देखने को ,बस कुछ थोडा बहुत ही हेरफेर होगा बातो का ,लेकिन नियत सब की  वोही मिलती है ,
ऐसे लोगो के कारण जो कुछ अच्छे लोग बचे हैं वो बेचारे भी इसी गिनती में गिन लिए जाते हैं ,क्योकि विश्वास तो सब का हिल चुका है ,धोखेबाजो की चांदी हो गयी है और सच्चे इंसान मुंह  छिपाए फिरते हैं ,की कहीं कोई उन्हें भी धोख्बाज़ न समझ ले ,
नहीं आज नहीं लिख सकती ,मन बड़ा व्यथित हो रहा है ,जाने क्या का क्या लिख जाऊं ,कलम हाथों में कांपती जा रही है ,

3 comments:

  1. सखी उदास मत हुआ करो ....और भूलने की कोशिश करो ,येही अच्छा रहेगा

    ReplyDelete
    Replies
    1. कोशिश करती हूँ उपासना सखी लेकिन अंदर से मन कांपता रहता है ....

      Delete
  2. housale bulad rakhiye mayoosi se kya fayada jeet achhaai ki ant me hoti hai

    ReplyDelete