अद्भुत कृष्ण का ये डिवए दर्शन कितना अदभुत रहा होगा ,उनका ये विराट रूप और कहाँ कान्हा का सलोना मुख ,दोनों जरा नहीं मिलते ,लेकिन दोनों की चमक अनोखी है उनके गीता के उपदेश जिन्साज हर इंसान को प्रेरणा मिलती है सोचा जाये तो एक इंसान उमर के साथ साथ कितना बदलता हैओर बदलती है उसकी सोच अच्छी सोच तो ज्ञान की और ले जाती है और बुरी सोच कुरुक्ष्त्र की और तो आज क्यों न सब एक बार मन से सारे छल कपट निकाल कर वो भोले कान्हा बनजाये लेकिन अपने कर्म या रखे ,वो तो गीता का सार है ,उद् किसी के लिए भी अच्छा नहीं ,अगर उनका ध्रितेर्श्टर के साथ ५ गांव में भी सौदा हो जाता तो ये युद्ध न होता ,लेकिन अहंकार के कारण ये संभव न हुआ और युद्ध करना पड़ा,कितनो की जाने गयी ,कितना नकसान आने वाली पीदियो तक को चुकाना पड़ा लेकिन किसी ने करिश की बात नहीं मणि थी उन्होंने तो घर की लड़ाई मिटने के लिए माथुर छोड़ दिया था और द्वारिका बसा ली थी ,लेकिन तब भी कोई खुश नहीं हुआ था ,और उन्हें छल रच कर हर कदम फसाया गया और वो नन्हा कान्हा इस लड़ाई और छल में कहीं खो गया आज इंसान की हालत भी ऐसी ही है पैसो के चक्कर और दूसरी बुरी आदतों को सीख कर जिंदगी का सचा आनंद ही भूल गया है
|
बहुत अच्छा दृष्टिकोण है आपका सखी रमा.......
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उपासना सखी
Delete