Monday, August 11, 2014

राखी की महत्ता

राखी

सावन मास के अंतिम दिन में मनाए जाने वाला पर्व भुजलियां धार्मिक आस्था व उल्लास के साथ  मनाया जाता है । प्राचीन परम्परा के अनुसार खास तौर पर ग्रामीण अंचलों में सावन माह के दूसरे पखवाड़े में भुजलियां टोकरियों में घरों में बोई जाती हैं। रक्षा बंधन पर्व मनाए जाने के दूसरे दिन बाजे-गाजे के साथ भुजलियां का विसर्जन करने समीपस्थ जलाशयों में जाते हैं। जहां भुजलियां का विसर्जन किया जाता है। इसके उपरांत छोटे अपनों से बड़े लोगों को भुजलियां देकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं। वहीं ग्रामीण अंचलों में आज भी भुजलियां पर्व पर विविध धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कर अलग-अलग रस्म रिवाज का पालन किया जाता है।
भाई बहन के अटूट स्नेह और रिश्तों की डोर का पर्व रक्षाबंधन आज धूमधाम के साथ मनाया जाता है । इस त्योहार को लेकर बाजार में जहां राखियों की दुकानें सजीं हैं वहीं त्योहार मनाने लोग अपने घरों की ओर वापस जाते  हैं जिससे बसों, टेनों भीड़ बड जाती  है।
    इस पर्व की महिमा सदियों से चली आ रही है जब रानी कर्मवती ने हुमाउन को राखी भेजी थी ,तब एक मुसलमान ने राखी भाई बनकर अपनी बहिन क लाज बचाई थी ,लेकिन ये सदियों पहले की बात है
आज तो बहिन ,बहु ,बेटी अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं ,भाई खुद खरीदार लाते हैं बहनों के लिए और बहु की तो हालत मत पूछिये ,उसे जो चाहे अपनी संपत्ति समझ कर उपयोग कर लेता है और वो चुप चाप सब सहन करती है ,क्योकि यही उसकी नियति बन चुकी है अगर वो आवाज़ उठे भी तो सास जो की खुद एक औरत है उसका मूंह बंद कर के उसे कमरे में ठेल देती है
सडको पर भयंकर तरीकों से दिनों दिन बलात्कार बड़ते जा रहे हें और हमारा पड़ा लिखा समाज खड़े होकर उस मासूम लुटी हुई महिला की तस्वीरे खींचता है और फेसबुक पर डालता ,क्या वो अबला किसी की बहन बेटी नहीं जिसका इतना बुरा हाल कर के सड़कों पर  लहुलुहान मरने के लिए फेंक दिया जाता जय और उसकी  तस्वीरे खिंची जाती हैं ,लानत है ऐसे लोगो पर ,समझ नहीं आती ऐसे लोग किस हक से हाथो पर राखी बंधवाते हैं और किस की रक्षा का वचन देते हैं
समाज के हालत दिनों दिन बिगड़ते जा रहे हैं ,लेकिन कुछ दिन रैलियां निकाली जाती है ,फेसबुक पर काला झंडा लगा दिया जाता है और फिर वो ही मस्ती शुरू ,क्या त्यौहार का बहिष्कार नहीं किया जा सकता ,जब तक गुनाह बंद न हों तब तक सब नारियां भी राखी ना बांधे ,वैसे भी जब वो किसी आपत्ति में होती हैं तो कौन सा भाई बचाने आता है ,पविटर त्योहारों का तमाशा बनना बंद होना चाहिए ,मर्दों का गुरुर तभी टूटेगा जब औरत आवाज़ उठाएगी
अगर किसी को मेरे विचार बुरे लगे हों तो माफ़ी चाहती हूँ
रक्षा बंधन की शुभ कामनाएं .........रमा

2 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, रक्षा बंधन की शुभकामनाएं।

    ReplyDelete