प्यार
क्या ये प्यार सदा रह पाता है ,इसी रूप में ,आजकल सब अपना जीवन साथी खुद चुनते हैं ,उन्हें माँ बाप के चुनाव या तय की हुई शादी में विश्वास नहीं रहा ,क्यों ये सवाल मन को कचोटता है ,क्या प्रेम विवाह ही सफल होते है और दूसरे सब बेकार ही होते हैं क्या ,अगर आंकडो को देखो तो पता चलता है की जितने तलाक अब होते हैं ,पहले उसके ५% भी नहीं होते थे , क्यों क्योकि तब माँ बाप का डर होता था ,लड़के और लड़की दोनों को ,लेकिन आज कल अपने को ज्यादा समझदार दिखाने के दिखावे में और अत्नत खुले व्यवहार के कारण इतना भटकाव आ गया है की लोग तलाक लेटे वक्त अपने बच्चों का भी नहीं सोचते की उन मासूमो की क्या गलती है ,बस खुद को नीचा नहीं देख सकते और परस्पर समझ का अत्यंत आभाव नज़र आता है , ये प्यार का नशा चार दिन में उतर जाता है ,फिर जिंदगी की कड़वी हकीकत सामने आती है जिसके लिए दोनों ही तैयार नहीं होते ,बड़ा कोई होता नहीं समझाने को और पहुँच जाते हैं तलाक लेने
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