उल्लू
एक बार एक हंस और एक हंसिनी जंगल में घूम रहे थे बातों बातों में समय का पता नहीं चला शाम हो गयी, वो अपने घर का रास्ता
भूल गए और चलते-चलते एक सुनसान जगह पर एक पेड़ के नीचे जाकर रुक गए . हंसिनी बोली मैं बहुत थक गयी हूँ चलो रात यहीं
बिताते हैं सुबह होते ही चल पड़ेंगे. हंस बोला ये बहुत सुनसान और वीरान जगह लगती है ''यहाँ कोई उल्लू भी नहीं रहता है'' चलो कोई
और जगह देखते हैं . उसी पेड़ पर बैठा एक उल्लू हंस और हंसिनी बातें सुन रहा था वो बोला आप लोग घबराएँ नहीं मैं भी यहीं रहता
हूँ , डरने की कोई बात नहीं है आप सुबह होते ही चले जाईयेगा . हंस और हंसिनी उल्लू की बात मानकर वहीँ ठहर गए .
सुबह हुई हंस और हंसिनी चलने लगे तो उल्लू ने उन्हें रोक लिया और हंस से बोला तू हंसिनी को लेकर नहीं जा सकता ये मेरी पत्नी
है.हंस बोला भाई ये क्या बात कर रहे हो तुम जानते हो कि हंसिनी मेरी पत्नी है.उल्लू बोला नहीं हंसिनी मे
री
पत्नी है तू इसे लेकर
नहीं जा साकता . धीरे-धीरे झगड़ा बढ गया और तू-तू में-में होने लगी . उल्लू हंस की बात मानने को तैयार ही नहीं था . तभी चतुराई
से उल्लू बोला
कि हम पंचों से इस बात का फैसला करवाएंगे कि हंसिनी किसकी पत्नी है . हंस के पास कोई चारा नहीं था . उल्लू उनको लेकर पास
के गाँव में गया और हंस ने पंचों को अपनी व्यथा सुनाई.
फिर फैसले के लिए पंचायत बुलाई गयी सभी पंचों ने विचार विमर्श किया और सोचा कि हंस तो कहीं बाहर से यहाँ आया है और उल्लू
तो हमारे गाँव में ही रहता है इसलिए हंसिनी उल्लू को ही दे देते हैं जिससे हंसिनी हमारे गाँव में ही रहेगी. पंचों ने फैसला सुनाया हंस
को बोले कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और उसे तुम उसे लेकर नहीं जा सकते हो.हंस दुखी होकर रोने लगा.
फिर तीनों लोग वापस गाँव से बाहर निकल कर उसी पेड़ के पास जाकर रुके. हंस बहुत दुखी था तभी उल्लू बोला हंस दुखी मत हो
हंसिनी तेरी ही पत्नी है और तू ही इसे लेकर यहाँ से जायेगा. लेकिन मेरी एक नसीहत सुन ''ये जगह इसलिए इतनी सुनसान और
वीरान नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है बल्कि इसलिए सुनसान और वीरान कि यहाँ ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लू की बात मान कर फैसले
लेते हैं'
'.
दोस्तों आने वाले समय में हमें ऐसे पंचों को हटाना है
और ऐसे पंच ढूढने हैं जो उल्लुओं की बात न मानें
फैसला खुद करो की क्या गलत है और क्या ठीक न की दुसरो की बातो में आकर अपने किसी प्रिय को खो दो
|
Bhagwan ne dimag aur kaan isi liye diye hai ki suno sbki lekin kro wo jo aapka dimaag kahta hai... bahut hi sunder kahani hai...
ReplyDeletehamari sarkar bhi kuch aise he hai
Deletehamari sarkar bhi kuch aise he hai
Deleteबहुत अच्छी बात कही आपने ........कोई शब्द ही नहीं मेरे पास
ReplyDelete