नया साल
कल सब ग़मगीन थे आज सब के चेहरे चमक रहे हैं नए साल के स्वागत के लिए ,अच्छा भी लगा और कुछ अटक भी गया गले में ,समझ नहीं पा रही की खुश होऊं या नहीं ,अभी कल रात तक दामिनी का शोक मना रहे थे सब ,आज याद तो सब को होगा लेकिन सब एक कदम आगे बड कर नयी खुशियों के स्वागत के लिए तैयार हैं ,शायद यही जीवन है ,कोई किसी के लिए कब ठहरता है ,इसी का नाम ही जिंदगी है ,बस चलते जाओ ,रुकना या ठहरना तो जिंदगी के अंत की ही निशानी है ,इसलिए सब चीखो पुकार भूल कर आज नए रंग में रंगे हैं ,चारो और शोर है ,धूम है ,फेसबुक क्या और नेट क्या ,बधाइयों के पैगाम लिए और दिए जा रहे हैं
मुझे भी आगे बदना चाहिए ,कुछ दरवाज़े मन के खोलने चाहिए ,कब तक इन्ही धागों में उलझी रहूंगी ...मुझे ही जब कोई नहीं समझा तो मेरे दिल की सोच को क्या समझेंगे सब
छोड़ देना चाहिए मुझे भी ये सब और नए साल का स्वागत करूँ
देखू इस साल में मुझे क्या मिलता है और दुनिया किस और जाती है
सब को हार्दिक शुभ कामनाये नए साल की |
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♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
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बस चलते जाओ ,
रुकना या ठहरना तो ज़िंदगी के अंत की ही निशानी है
बहुत सच कहा आपने ...
सम्माननीया रमा जी !
देखू इस साल में मुझे क्या मिलता है
:)
शुभ सोचेंगे तो शुभ ही होगा !
आपके सारे ब्लॉग अच्छे हैं ।
मैं सब पर घूम आया ...
आनंद आ गया !
:))
आपकी लेखनी से सदैव सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन होता रहे , यही कामना है …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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हार्दिक आभार
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