Saturday, August 10, 2013

खुश होना चाहिए की रोना चाहिए

भारत
मुझे तो आजकल के हालात देख कर लगता है जब हम गुलाम थे

तो ज्यादा सुरक्षित और मर्यादावादी थे ,अपनी माँ बहनों की खातिर लड़ते थे न की अपनी खातिर

,राजनीति में भी सब देश के लिए कुर्बान होनेवाले लोग थे न की देशवासियों को कुर्बान करने वाले

,कमी सब में होती है ,उनमे भी थी लेकिन सिर्फ कमी ही कमी तो आजकल नज़र आ रही है

 ,बहन बेटी बीवी कोई सुरक्षित नहीं ,

राजनीती में सिर्फ और सिर्फ लूट
,
क्या ऐसी आज़ादी चाही थी देश के शहीदों ने ,

अभी ४ दिन बाद सभी आज़ादी का दिन मन्येगे ,झंडे फह्रान्येगे

,मुझे तो लगता है शर्म से झंडे झुका देने चाहिए ,और उस दिन को याद कर खुश नहीं होना चाहिए की हमारी आज़ादी का दिन है बल्कि
रोना चाहिए ,

की हम तब सुरक्षित थे .

 

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